पर्यटकों के आकर्षण

 महाकुम्भ मेला 2025 प्रयागराज में त्रिवेणी संगम देखने के स्थान

त्रिवेणी संगम

तीर्थराज प्रयाग की पुण्यभूमि पर माँ गंगा, यमुना एवं अदृश्य सरस्वती का मिलन ही त्रिवेणी संगम कहलाता है। कहते हैं जब गंगा एवं यमुना के संगम की बात चली तब गंगा जी ने यमुना जी से मिलने से मना कर दिया। किंवदंती के अनुसार गंगा जी यमुना जी के विशद क्षेत्र एवं गहराई से चिंतित थीं। उन्हें यह डर था कहीं यमुना जी से मिलने से उनका अस्तित्व न समाप्त हो जाए, इस पर यमुना जी हँस पड़ी और उन्होंने गंगा जी को आश्वस्त किया कि संगमोपरान्त गंगा जी ही पूर्ण-रूप से जानी जायेंगी। इस विषय में एक और कथा प्रचलित है कि जब सूर्य-सुता यमुना एवं गंगा के संगम की चर्चा हो रही थी तब गंगा जी ने यमुना जी के श्याम रंग के कारण उनसे मिलने से इनकार कर दिया था। इस पर भगवान भास्कर अत्यधिक नाराज़ हुए और उन्होंने गंगा जी को कलयुग में मैला एवं मृत शरीर ढोने का शाप दे दिया। इस पर गंगा जी बहुत व्यथित हुयी, उन्होंने अपनी पीड़ा भगवान् विष्णु को बताई। विष्णु जी ने कहा कि वे भगवान् भास्कर का शाप तो नहीं लौटा सकते परन्तु यह वरदान देते हैं कि बिना गंगा के जल के कोई भी पुण्यकर्म पृथ्वी पर पूर्ण नहीं माना जायेगा। साथ ही उन्होंने यमुना जी को वरदान दिया कि तुम्हारा जल अक्षयवट के सम्पर्क में आते ही पापनाशक हो जायेगा। इसपर गंगा जी बहुत प्रसन्न हुई एवं बोली अब यमुना जी के मिलन से मेरी महत्ता भी बढ़ जाएगी। सरस्वती जी भी अक्षयवट के महत्त्व को समझते हुए प्रभु आज्ञा से इस संगम में आ गई। प्रयागराज के इस अद्वितीय त्रिवेणी संगम का महत्त्व इस कारण भी है कि ब्रह्मा जी ने यहाँ भगवान् शिव को इष्ट मान कर यज्ञ किया था, जिसकी रक्षा स्वयं भगवान् विष्णु माधव रूप में कर रहे थे। दूसरा, कालान्तर में इसे ही पृथ्वी का केंद्र भी माना गया है। ऐसे में तीर्थराज प्रयागराज एवं त्रिवेणी संगम का महत्त्व स्वतः ही अत्यधिक बढ़ जाता है। महाभारत में साठ करोड़ दस हजार तीर्थ प्रयाग में बताये गये हैं, जिनमें से अधिकांश तीर्थों का आधार संगम ही है। मान्यता है कि अधिकांश तीर्थ स्वयं गंगा जी एवं यमुना जी द्वारा लाये गये थे। पृथ्वी के जिस कण पर इनका जल पड़ता है वह स्थान स्वतः ही तीर्थ हो जाता है। सम्भवतः यही कारण है कि आदिकाल से जिस स्थान को ये धाराएँ पवित्र करती हैं, माघ माह में उसी पर संन्यासी आराधना करते हैं। चाहे वह महाकुम्भ का अवसर हो या कुम्भ मेले का अथवा हर साल लगने वाले माघ मेले का, उसी स्थान को आराधना के लिए उपयुक्त माना गया है जहाँ तक जल पहुंचा है। तीर्थ-स्थलों पर जिन पञ्चकर्मों स्नान, दान, ब्रह्मभोज, उपवास, परिक्रमा का विधान है, वे सभी संगम पर अति-फलदायक होते हैं। विभिन्न ग्रंथों में संगम स्नान का अलग-अलग महत्त्व बताया गया है। ब्रह्म पुराण के अनुसार संगम स्नान से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है तथा मत्स्य पुराण के अनुसार दस करोड़ तीर्थों का फल मिलता है। महाभारत के एक सूक्त में संगम में स्नान के फल स्वरुप प्राप्त पुण्य को राजसूय एवं अश्वमेध यज्ञों के पुण्यफल के बराबर बताया गया है। "तत्राभिषेकं यः कुर्यात् संगमे शंसितव्रतः । तुल्यं फलवाप्नोति राजसूयाश्वमेधयो:।।" स्कन्द पुराण के काशी खण्ड में विभिन्न तिथियों पर स्नान के भी अलग अलग फल बताये गये हैं। जैसे अमावस्या पर स्नान करने से अन्य दिनों की अपेक्षा सौ गुणा अधिक फल प्राप्त होता है। संक्रांति में स्नान करने से हज़ार गुणा, सूर्य एवं चन्द्र ग्रहण के समय स्नान करने से सौ लाख गुणा। यदि सोमवार के दिन चन्द्र ग्रहण या रविवार को सूर्य ग्रहण पर स्नान किया जाए तो अपार पुण्यफल की प्राप्ति होती है। दान व समर्पण का महात्म्य स्वयं कृष्णप्रिया यमुना से परिलक्षित होता है, जो अपनी विशालता एवं अपने सर्वस्व को त्यागकर प्राणि मात्र के कल्याण के निमित्त गंगा में समाहित हो जाती हैं। यही त्याग और समर्पण ही संगम का मूल है, जैसा कि सम्राट हर्षवर्धन का दान अति-विशिष्ट एवं प्रसिद्ध है, वे प्रत्येक बारहवें वर्ष संगम तट पर लगने वाले कुम्भ में अपना सर्वस्व दान कर देते थे। साथ ही माघ मास के दौरान कल्पवासी आदिकाल से ही ब्रह्मभोज, उपवास एवं प्रयागराज में स्थित तीर्थों की परिक्रमा करते आ रहे हैं। इन सब के साथ ही संगम पर मुण्डन का विधान है। मान्यता है कि संगम तट पर मुण्डन से अनेक विघ्न बाधाएं स्वतः ही दूर हो जाती हैं।

 महाकुम्भ मेला 2025 प्रयागराज में हनुमान मन्दिर देखने के स्थान

श्री अलोप शंकरी मन्दिर

श्री अलोपशंकरी देवी का मन्दिर संगम और अक्षयवट से लगभग तीन किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में, अलोपिबाग क्षेत्र में स्थित है।

 महाकुम्भ मेला 2025 प्रयागराज में नागवासुकी मन्दिर देखने के स्थान

नागवासुकी मन्दिर

महाकुम्भ मेला 2025 की तैयारी के अंतर्गत, नागवासुकी मन्दिर का भव्य नवीनीकरण किया जा रहा है, जिसमें पारंपरिक वास्तुकला को आधुनिक सौंदर्यशास्त्र के साथ जोड़ा गया है।

शंकर विमान मण्डपम महाकुम्भ मेला 2025 प्रयागराज में देखने लायक स्थान

शंकर विमानमण्डपम

दक्षिण भारतीय शैली का यह मन्दिर चार स्तम्भों पर निर्मित है। जिसमें कुमारिल भट्ट, जगतगुरु आदि शंकराचार्य, कामाक्षी देवी (चारोंं ओर 51 शक्ति की मूर्तियाँ के साथ), तिरूपति बाला जी (चारोंं ओर 108 विष्णु भगवान की मूर्तियों के साथ) और योगशास्त्र सहस्त्रयोग लिंग (108 शिवलिंग) स्थापित है।

महाकुम्भ मेला 2025 प्रयागराज में देखने लायक प्रतिष्ठित मन्दिर स्थान

श्री वेणी माधव

पद्मपुराण में वर्णन के अनुसार लोकमान्यता है कि सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी प्रयागराज की धरती पर जब यज्ञ कर रहे थे तब उन्होंने प्रयागराज की सुरक्षा हेतु भगवान विष्णु से प्रार्थना कर उनके बारह स्वरूपों की स्थापना करवाई थी। प्रयागराज के बारह माधव मन्दिरों में सर्वप्रसिद्ध श्री वेणी माधव जी का मन्दिर दारागंज के निराला मार्ग पर स्थित है। मन्दिर में शालिग्राम शिला निर्मित श्याम रंग की माधव प्रतिमा गर्भगृह में स्थापित है। श्री वेणी माधव को ही प्रयागराज का प्रधान देवता भी माना जाता है। यहाँ वर्ष भर श्रद्धालुओं का ताँता लगा रहता है। श्री वेणी माधव के दर्शन के बिना प्रयागराज की यात्रा एवं यहाँ होने वाली पंचकोसी परिक्रमा को पूर्ण नहीं माना जाता है। चैतन्य महाप्रभु जी स्वयं अपने प्रयागराज प्रवास के समय यहाँ रह कर भजन-कीर्तन किया करते थे।

Shivalya Park Places to See in Maha Kumbh Mela 2025 Prayagraj

शिवालय पार्क

त्रिवेणी संगम से केवल कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित शिवार्पार्क कला, प्रकृति और मनोरंजन का संगम है। यहाँ आप सबसे पुराने और सबसे पूजनीय मंदिरों का वैभव देख सकते हैं। भगवान शिव के प्रतीकों को फिर से जीवित किया गया है। यह अनुभव आपको कहीं और नहीं मिलेगा। पार्क को भारत के मानचित्र के आकार में डिजाइन किया गया है। यहाँ की तीर्थ यात्रा आपको देशभर के प्रतिष्ठित मंदिरों तक ले जाएगी। उत्तर में केदारनाथ, पूर्व में लिंगराज, दक्षिण में शोर मंदिर, पश्चिम में सोमनाथ ज्योतिर्लिंग और रास्ते में कई अन्य मंदिर हैं। शिवार्पार्क की संरचनाएँ पुनर्नवीनीकरण सामग्री से बनाई गई हैं। इन संरचनाओं में सावधानी और कुशलता से काम किया गया है। ये भारतीय मंदिरों और पुराणों की भव्यता और कारीगरी को दर्शाती हैं। महादेव को यह रचनात्मक सम्मान आध्यात्मिक आनंद का स्रोत है। यहाँ आप तुलसी वन की औषधीय महक महसूस कर सकते हैं। साथ ही, आप देशभर से आए स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद ले सकते हैं।

हनुमान मन्दिर महाकुम्भ मेला 2025 में देखने लायक स्थान, प्रयागराज

श्री लेटे हुए हनुमान जी मन्दिर

दारागंज मोहल्ले में गंगा जी के किनारे लेटे हुए हनुमान मन्दिर है। यह कहा जाता है कि संत समर्थ गुरु रामदास जी ने यहाँ भगवान हनुमान जी की मूर्ति स्थापित की थी। शिव-पार्वती, गणेश, भैरव, दुर्गा, काली एवं नवग्रह की मूर्तियाँ भी मन्दिर परिसर में स्थापित हैं। निकट में श्री राम जानकी मन्दिर एवं हरित माधव मन्दिर हैं।

अक्षयवट मन्दिर महाकुम्भ मेला 2025 में देखने लायक स्थान प्रयागराज

अक्षयवट और पातालपुरी मन्दिर

अक्षयवट ‘‘अविनाशी वटवृक्ष‘‘ हिंदू पौराणिक कथाओं और हिंदू ग्रंथों में वर्णित एक पवित्र बरगद का पेड़ है। बौद्ध तीर्थयात्री ह्वेनसांग और पुरातत्त्वविद्, अलेक्जेंडर, कनिंघम जैसे इतिहासकारों और यात्रियों ने अक्षयवट वृक्ष का बहुत विस्तार से अपने वृत्तांतों उल्लेख किया है। यह वृक्ष महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि कहा जाता है कि यहीं पर रामायण के नायक राम, लक्ष्मण और सीता ने अयोध्या से अपने वनवास के दौरान विश्राम किया था। पातालपुरी मन्दिर:पातालपुरी मन्दिर भारत के सबसे पुराने मन्दिरों में से एक है, जिसका इतिहास वैदिक काल से जुड़ा हुआ है। यह खूबसूरती से सजा हुआ भूमिगत मन्दिर इलाहाबाद किले के भीतर अमर वृक्ष अक्षयवट के पास बना है ।

महाकुम्भ मेला 2025 प्रयागराज में देखने लायक सरस्वती कूप स्थान

सरस्वती कूप

सरस्वती कूप एक पवित्र कुआँ है, जो त्रिवेणी संगम स्थित किले के अंदर है। महाकुम्भ मेला 2025 के लिए सरस्वती कूप का जीर्णोद्धार एक महत्त्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य इस पवित्र कुएं के आध्यात्मिक महत्त्व को बहाल करना और बढ़ाना है। इस परियोजना में इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्त्व को संरक्षित करने के लिए सावधानीपूर्वक जीर्णोद्धार प्रयास शामिल हैं, जिससे तीर्थयात्रियों को इस पवित्र आयोजन के दौरान गहरा जुड़ाव महसूस हो।

मनकामेश्वर मन्दिर महाकुम्भ मेला 2025 में देखने लायक स्थान प्रयागराज

मनकामेश्वर मन्दिर

किला के पश्चिम यमुना तट पर मिन्टो पार्क के निकट यह मन्दिर स्थित है। यहाँ काले पत्थर की भगवान शिव का एक लिंग और गणेश एवं नंदी की मूर्तियाँ हैं। यहाँ हनुमान जी की भी एक बड़ी मूर्ति है और मन्दिर के निकट एक प्राचीन पीपल का पेड़ है।

राम घाट आरती महाकुम्भ मेला 2025 प्रयागराज में देखने लायक स्थान

रामघाट गंगा आरती

गंगा आरती भारत के सबसे खूबसूरत अनुभवों में से एक है। यह आध्यात्मिक समारोह देवी गंगा को श्रद्धांजलि देने के लिए प्रतिदिन किया जाता है। प्रत्येक शाम गोधूलि बेला पर राम घाट पर गंगा आरती करने का समय होता है। यह अत्यन्त ओजस्वी और उत्थानशील आध्यात्मिक अनुष्ठान है। गंगा आरती नदी के सामने राम घाट पर होती है। दीप जलाए जाते हैं और पण्डितों (पुजारियों) द्वारा दक्षिणावर्त तरीके से परिक्रमा की जाती है और गंगा माँ की स्तुति में गीत का गायन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि दीपों को देवता की शक्ति प्राप्त होती है। ‘आरती‘ शब्द संस्कृत के आत्रिक से लिया गया है, जिसका अर्थ है पूजा का एक रूप, जिसमेंं घी (शुद्ध मक्खन) या कपूर के दीपक से प्रकाश एक या एक से अधिक देवताओं को अर्पित किया जाता है। आरती पांच तत्त्वों आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी का प्रतीक है। समारोह पूर्ण होने के बाद, भक्त अपने हाथों को ज्योति के ऊपर रखते हैं और देवी का आशीर्वाद पाने के लिए अपनी हथेलियों को माथे पर रखते हैं। इस दिव्यता की अनुभूति के लिए आपको इस समारोह में प्रतिभाग करना होगा।

भारद्वाज आश्रम महाकुम्भ मेला 2025 प्रयागराज में देखने लायक स्थान

महर्षि भारद्वाज आश्रम

मुनि भारद्वाज से सम्बद्ध यह एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। मुनि भारद्वाज के समय यह एक प्रसिद्ध शिक्षा केन्द्र था। कहा जाता है कि भगवान राम अपने वनवास के प्रारम्भ पर चित्रकूट जाते समय सीता जी एवं लक्ष्मण जी के साथ इस स्थान पर आए थे। वर्तमान में वहाँ भारद्वाजेश्वर महादेव, मुनि भारद्वाज, तीर्थराज प्रयाग और देवी काली इत्यादि के मन्दिर हैं। निकट ही सुन्दर भारद्वाज पार्क एवं आनन्द भवन है।

महाकुम्भ मेला 2025 प्रयागराज में देखने लायक विक्टोरियल मेमोरियल स्थान

विक्टोरिया स्मारक

रानी विक्टोरिया को समर्पित इटालियन चूना पत्थर से निर्मित यह स्मारक स्थापत्य कला का एक जीवंत उदाहरण है। इसे 24 मार्च, 1906 को जेम्स डिगेस ला टच के द्वारा 1906 में खोला गया था। त्रिकोणात्मक रचना में कभी रानी विक्टोरिया की बड़ी मूर्ति लगी हुई थी जो वर्तमान समय में वहाँ नहीं हैं।

प्रयाग संगीत समिति महाकुम्भ मेला 2025 में देखने लायक स्थान प्रयागराज

प्रयाग संगीत समिति

यह वर्ष 1926 में भारतीय जन मानस में भारतीय शास्त्रीय संगीत पढ़ाने और लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य के साथ स्थापित किया गया था। यह संस्था भारतीय समितियां अधिनियम संख्या (गत, वर्ष 1860) के अधीन पंजीकृत है। समिति का मूल उद्देश्य गायन, वादन एवं नृत्य को सम्मिलित करते हुए संगीत कला की प्रतिष्ठा को सदैव पुनर्जीवित रखना तथा भारत व विदेशों में भी इस कला में व्यवस्थित प्रशिक्षण प्रदान करना है, इसके अलावा इसे अधिकतम लोगों तक पहुंचाना है। इस बिन्दु को दृष्टिगत रखकर समिति श्रद्धापूर्वक आज तक महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रही है।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय महाकुम्भ मेला 2025 में देखने लायक स्थान, प्रयागराज

इलाहाबाद विश्वविद्यालय

इलाहाबाद विश्वविद्यालय को एक शताब्दी से अधिक समय से भारत के विश्वविद्यालयों के मध्य एक सम्मानित स्थान प्राप्त है। 23 सितम्बर, 1887 को स्थापित यह विश्वविद्यालय कलकत्ता, बाम्बे और मद्रास विश्वविद्यालय के पश्चात्् चौथा पुराना विश्वविद्यालय है। प्रयागराज में एक बड़े केन्द्रीय कालेज की स्थापना एवं इसे एक विश्वविद्यालय के रूप में विकसित करने का श्रेय सर विलियम म्योर को जाता है जो यूनाइटेड प्राविन्स के लेफ्टिनेंट गवर्नर थे। उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप म्योर सेन्ट्रल कालेज की आधारशिला 9 दिसम्बर, 1873 को वायसराय लार्ड नार्थब्रुक के द्वारा रखी गयी थी। जो आगे चलकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रूप में प्रसिद्ध हुआ।

Law Museum & Archive Places to See in Maha Kumbh Mela 2025 Prayagraj

विधि संग्रहालय एवं अभिलेखागार ( उच्च न्यायालय इलाहाबाद का एक उप क्रम )

भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम 1861 ने कलकत्ता, बंबई तथा मद्रास उच्च न्यायालयों की स्थापना के प्राविधान किए। इस अधिनियम नें महारानी विक्टोरिया को यह शक्ति भी प्रदत्त की कि वे देश के अन्य भागों में भी इस प्रकार के अन्य उच्च न्यायालयों की स्थापना कर सकें। उसी क्रम में दिनांक 17 मार्च 1866 को लेटर पेटेंट/चार्टर ज़ारी करते हुए उत्तर-पश्चिम प्रांत हेतु देश के चैथे उच्च न्यायालय की स्थापना की गयी जिसने 18 जून 1866 से आगरा में कार्य करना प्रारंभ किया। बाद में सन् 1869 में यह उच्च न्यायालय इलाहाबाद (वर्तमान प्रयागराज) में प्रतिस्थापित हो गया जहाँ कि इसने उस भवन में कार्य करना प्रारंभ किया जिसमें कि वर्तमान राजस्व परिषद कार्य कर रही है, कालांतर में 27 नवंबर 1916 को यह अपने वर्तमान भवन में प्रतिस्थापित हुआ। इस उच्च न्यायालय के नाम को एक अनुपूरक लेटर पेटेंट दिनांकित 11 मार्च 1919 के माध्यम से परिवर्तित कर इसका नाम इलाहाबाद उच्च न्यायालय कर दिया गया। वर्ष 1966 में इस उच्च न्यायालय का शताब्दी समारोह आयोजित हुआ। समारोह समिति के अध्यक्ष तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति नसीरूल्लाह बेग एवं मानद सचिव माननीय न्यायमूर्ति एस एन काटजू जी ने शताब्दी समारोह के दौरान न्यायिक अभिलेखों, चित्रों, कलाकृतियों इत्यादि की एक प्रदर्शनी लगाए जाने की योजना बनाई एवं उसे मूर्त रूप दिया। आगंतुकों, जिसमें कि विदेशी आगंतुक भी शामिल थे, उनके द्वारा उक्त प्रदर्शनी की भूरि-भूरि प्रशंसा की गयी। बाद में यह निर्णित हुआ कि उक्त प्रदर्शनी को न्यायालय अभिलेखों के एक संग्रहालय के रूप में स्थापित किया जाये। अतः उच्च न्यायालय परिसर के भीतर एक संग्रहालय की स्थापना हुई जिसमें कि, न्यायिक व्यवस्था से संबंधित अति-प्राचीन एवं दुर्लभ अभिलेखों, ऐतिहासिक निर्णयों, मुगलकालीन फरमानों, फ़ारसी भाषा के निर्णयों (जो कि 1866 में उच्च न्यायालय कि स्थापना से पूर्व न्यायालय की आधिकारिक भाषा हुआ करती थी) 1866 से लेकर समकालीन माननीय मुख्य न्यायधिनशो के कालक्रमबद्ध चित्र, अंग्रेजी राज-चिन्ह, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जिन्होंने माननीय सर्वोच्च न्यायालय में भी सेवाएं दीं उनके चित्र हैं, बार के प्रख्यात सदस्यों के चित्र एवं पुरातन ब्रिटिश-कालीन फर्नीचर आदि को, स्थान दिया गया। कालांतर में राज्य सरकार के वित्तीय सहयोग से विधि संग्रहालय एवं अभिलेखोगार के नवीन स्वतंत्र भवन का निर्माण हुआ, जिसका कि उद्घाटन 2021 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति श्री गोविंद माथुर जी के द्वारा किया गया। यह भारत का अपनी तरह का एकमात्र विधि संग्रहालय है। विधि संग्रहालय में प्राचीन मुगल तथा अंग्रेजी न्यायिक व्यवस्था पर शोध करने हेतु बहुमूल्य संसाधन उपलब्ध हैं। प्राचीन एवं दुर्लभ मुगलकालीन फरमान एवं अन्य अभिलेख प्राचीन न्यायिक व्यवस्था तथा प्रशासन की झांकी भी प्रस्तुत करते हैं। विधि संग्रहालय का मूल उद्देश्य एवं विचार प्राचीन अभिलेखों का संरक्षण, परिरक्षण तथा उनका सम्यक प्रदर्शन है। यहां पर ऐसी ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व की अनेक कलाकृतियाँ संरक्षित हैं। संग्रहालय भ्रमण से आगंतुकों को हमारी समृद्ध एवं विविध ऐतिहासिक विरासत की स्पष्ट एवं हृदय को छू लेनी वाली अनुभूति मिलेगी। वर्तमान में संग्रहालय 10, थार्नहिल मार्ग (निकट साईं मंदिर) प्रयागराज में प्रतिस्थापित है, संग्रहालय का दूरभाष सं० 0532 2622010 तथा ईमेल है। संग्रहालय आम-जनमानस के लिए सभी कार्यदिवसों में प्रातः 10 से सायं 5 तक खुला है। संग्रहालय की वेबसाईट www.allahabadhighcourt.in है।

महाकुम्भ मेला 2025 प्रयागराज में देखने लायक सार्वजनिक पुस्तकालय स्थान

पब्लिक लाइब्रेरी

शहर की सबसे पुरानी लाइब्रेरी चन्द्रशेखर आज़ाद पार्क परिसर के भीतर स्थित है। इसमें ऐतिहासिक पुस्तकों, पाण्डुलिपियों एवं पत्रिकाओं का बृहद संग्रह है। इस लाइब्रेरी को चैथम लाइन्स क्षेत्र में 1864 में स्थापित किया गया था, वर्तमान भवन का वर्ष 1878 में निर्माण के पश्चात्् लाइब्रेरी को यहाँ स्थानान्तरित किया गया है। इस दर्शनीय भवन का एक अन्य गरिमामयी अध्याय भी है। यहाँ राज्य की प्रथम विधान सभा ने अपनी पहली बैठक इसी भवन में 8 जनवरी, 1887 को किया था। लार्ड थार्नहिल एवं माइन की स्मृति में निर्मित यह भवन गोथिक आर्कीटेक्चर का एक सुन्दर उदाहरण है।

गंगा गैलरी महाकुम्भ मेला 2025 में देखने लायक स्थान, प्रयागराज

गंगा गैलरी (राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी)

5, लाजपत राय मार्ग, नया कटरा स्थित यह गैलरी गंगा नदी की धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक-आर्थिक एवं वैज्ञानिक पक्ष को प्रकाशित करने के लिए एक वैज्ञानिक दृष्टि का प्रयोग करती है।

महाकुम्भ मेला 2025 प्रयागराज में देखने लायक फ्लोटिंग जेटी स्थान

फ्लोटिंग रेस्टोरेंट

जल स्पोर्ट्स अरेना और फ्लोटिंग जेटीज, महाकुम्भ-2025 के लिए शानदार तैयारी के अभिन्न हिस्से हैं। इन्हें नवाचारी सुविधाओं का उद्दीपन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो प्रवासी अनुभव को बढ़ाने के लिए हैं। इनोवेटिव सुविधाएं आध्यात्मिकता और मनोरंजन का एक अद्वितीय मिश्रण प्रदान करेंगी। यात्री और आगंतुक समान रूप से सकरात्मक माहौल में महाकुम्भ-2025 के अद्भुत वातावरण में शान्तिपूर्ण जल की यात्रा करते हुए विभिन्न वाटर स्पोर्ट्स में भाग लेकर एक सुगम और आनंदमय अनुभूति प्राप्त की जा सकती है।

श्री अखिलेश्वर मन्दिर महाकुम्भ मेला 2025 प्रयागराज में देखने लायक स्थान

श्री अखिलेश्वर महादेव

चिन्मय मिशन के अधीन प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) में रसूलाबाद घाट के निकट 500 वर्ग फिट के लगभग एक क्षेत्र में श्री अखिलेश्वर महादेव संकुल फैला हुआ है। इसकी आधारशिला 30 अक्टूबर, 2004 को चिन्मय मिशन के परमपूज्य स्वामी तेजोमयनन्दजी एवं पूज्य स्वामी सुबोधानन्द जी के द्वारा रखी गयी थी। आधार तल से ऊपर राजस्थान से गुलाबी पत्थर मंगा कर कटाई कर श्री अखिलेश्वर महादेव ध्यान मण्डपम को आकार प्रदान करने के लिए लगाये गये हैं। आधार पर लगभग 300 व्यक्तिगण की क्षमता वाली एक सत्संग भवन हेतु निर्मित किया गया है और श्री अखिलेश्वर महादेव के लिए समस्त आवश्यक सेवाएँ उपलब्ध है।

दशाश्वमेध मन्दिर महाकुम्भ मेला 2025 में देखने लायक स्थान, प्रयागराज

दशाश्वमेघ मन्दिर

यह दारागंज में गंगा नदी के किनारे स्थित शहर के तटीय क्षेत्रों में से एक है। कहा जाता है कि भगवान बह्मा जी ने यहाँ अश्वमेघ यज्ञ किया था। दशाश्वमेघेश्वर महादेव-शिवलिंग, नंदी, शेषनाग की मूर्तियाँ एवं एक बड़ा त्रिशूल इस मन्दिर में स्थापित हैं। चैतन्य महाप्रभु की स्मृति में उनके पदचिह्नों की विम्ब धारित करती हुई एक संगमरमर की पट्टी भी यहाँ लगी हुई है। इस मन्दिर के निकट में ही देवी अन्नपूर्णा भगवान हनुमान एवं भगवान गणेश के मन्दिर हैं।

Takshkeshwarnath Temple Places to See in Maha Kumbh Mela 2025 Prayagraj

तक्षकेश्वर नाथ मन्दिर

तक्षकेश्वर भगवान शंकर का मन्दिर है जो प्रयागराज की दक्षिण दिशा में स्थित दरियाबाद मोहल्ले में यमुना तट पर स्थित है। इससे थोड़ी दूर पर यमुना में तक्षकेश्वर कुण्ड है। जन श्रुति यह है कि तक्षक नाग ने भगवान कृष्ण द्वारा मथुरा से भगाये जाने के पश्चात्् यहीं शरण ली थी।

अन्य आकर्षण

महाकुम्भ मेला 2025 में देखने लायक यात्रा स्थल, प्रयागराज संगम

महाकुम्भ मेला 2025 में देखने लायक यात्रा स्थल, प्रयागराज इलाहाबाद किला स्थित पातालपुरी मन्दिर

त्रिवेणी बाँध स्थित बड़े (लेटे हुए) हनुमान मन्दिर

महाकुम्भ मेला 2025 में देखने लायक यात्रा स्थल, प्रयागराज आदि शंकर विमानमण्डपम

महाकुम्भ मेला 2025 में देखने लायक यात्रा स्थल, प्रयागराज स्वराज भवन, आनन्द भवन व जवाहर नक्षत्र-भवन

महाकुम्भ मेला 2025 में देखने लायक यात्रा स्थल, प्रयागराज गदा माधव मन्दिर, छिवकी

महाकुम्भ मेला 2025 में देखने लायक यात्रा स्थल, प्रयागराज अनंत माधव

महाकुम्भ मेला 2025 में देखने लायक यात्रा स्थल, प्रयागराज त्रिवेणी-अक्षय-वट माधव

महाकुम्भ मेला 2025 में देखने लायक यात्रा स्थल, प्रयागराज ललिता देवी

महाकुम्भ मेला 2025 में देखने लायक यात्रा स्थल, प्रयागराज कल्याणी देवी

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महाकुम्भ मेला 2025 में देखने लायक यात्रा स्थल, प्रयागराज हरिशचन्द्र अनुसंधान संस्थान, छतनाग

महाकुम्भ मेला 2025 में देखने लायक यात्रा स्थल, प्रयागराज माँ अम्बे देवी धाम

महाकुम्भ मेला 2025 में देखने लायक यात्रा स्थल, प्रयागराजलाक्षागृह