पर्यटकों के आकर्षण
शंकर विमानमण्डपम
दक्षिण भारतीय शैली का यह मन्दिर चार स्तम्भों पर निर्मित है। जिसमें कुमारिल भट्ट, जगतगुरु आदि शंकराचार्य, कामाक्षी देवी (चारोंं ओर 51 शक्ति की मूर्तियाँ के साथ), तिरूपति बाला जी (चारोंं ओर 108 विष्णु भगवान की मूर्तियों के साथ) और योगशास्त्र सहस्त्रयोग लिंग (108 शिवलिंग) स्थापित है।
श्री वेणी माधव
पद्मपुराण में वर्णन के अनुसार लोकमान्यता है कि सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी प्रयागराज की धरती पर जब यज्ञ कर रहे थे तब उन्होंने प्रयागराज की सुरक्षा हेतु भगवान विष्णु से प्रार्थना कर उनके बारह स्वरूपों की स्थापना करवाई थी। प्रयागराज के बारह माधव मन्दिरों में सर्वप्रसिद्ध श्री वेणी माधव जी का मन्दिर दारागंज के निराला मार्ग पर स्थित है। मन्दिर में शालिग्राम शिला निर्मित श्याम रंग की माधव प्रतिमा गर्भगृह में स्थापित है। श्री वेणी माधव को ही प्रयागराज का प्रधान देवता भी माना जाता है। यहाँ वर्ष भर श्रद्धालुओं का ताँता लगा रहता है। श्री वेणी माधव के दर्शन के बिना प्रयागराज की यात्रा एवं यहाँ होने वाली पंचकोसी परिक्रमा को पूर्ण नहीं माना जाता है। चैतन्य महाप्रभु जी स्वयं अपने प्रयागराज प्रवास के समय यहाँ रह कर भजन-कीर्तन किया करते थे।
श्री लेटे हुए हनुमानजी मन्दिर
दारागंज मोहल्ले में गंगा जी के किनारे श्री लेटे हुए हनुमान मन्दिर है। यह कहा जाता है कि संत समर्थ गुरु रामदास जी ने यहाँ भगवान हनुमान जी की मूर्ति स्थापित की थी। शिव-पार्वती, गणेश, भैरव, दुर्गा, काली एवं नवग्रह की मूर्तियाँ भी मन्दिर परिसर में स्थापित हैं। निकट में श्री राम जानकी मन्दिर एवं हरित माधव मन्दिर हैं।
अक्षयवट और पातालपुरी मन्दिर
अक्षयवट ‘‘अविनाशी वटवृक्ष‘‘ हिंदू पौराणिक कथाओं और हिंदू ग्रंथों में वर्णित एक पवित्र बरगद का पेड़ है। बौद्ध तीर्थयात्री ह्वेनसांग और पुरातत्त्वविद्, अलेक्जेंडर, कनिंघम जैसे इतिहासकारों और यात्रियों ने अक्षयवट वृक्ष का बहुत विस्तार से अपने वृत्तांतों उल्लेख किया है। यह वृक्ष महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि कहा जाता है कि यहीं पर रामायण के नायक राम, लक्ष्मण और सीता ने अयोध्या से अपने वनवास के दौरान विश्राम किया था। पातालपुरी मन्दिर:पातालपुरी मन्दिर भारत के सबसे पुराने मन्दिरों में से एक है, जिसका इतिहास वैदिक काल से जुड़ा हुआ है। यह खूबसूरती से सजा हुआ भूमिगत मन्दिर इलाहाबाद किले के भीतर अमर वृक्ष अक्षयवट के पास बना है ।
सरस्वती कूप
सरस्वती कूप एक पवित्र कुआँ है, जो त्रिवेणी संगम स्थित किले के अंदर है। महाकुम्भ मेला 2025 के लिए सरस्वती कूप का जीर्णोद्धार एक महत्त्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य इस पवित्र कुएं के आध्यात्मिक महत्त्व को बहाल करना और बढ़ाना है। इस परियोजना में इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्त्व को संरक्षित करने के लिए सावधानीपूर्वक जीर्णोद्धार प्रयास शामिल हैं, जिससे तीर्थयात्रियों को इस पवित्र आयोजन के दौरान गहरा जुड़ाव महसूस हो।
मनकामेश्वर मन्दिर
किला के पश्चिम यमुना तट पर मिन्टो पार्क के निकट यह मन्दिर स्थित है। यहाँ काले पत्थर की भगवान शिव का एक लिंग और गणेश एवं नंदी की मूर्तियाँ हैं। यहाँ हनुमान जी की भी एक बड़ी मूर्ति है और मन्दिर के निकट एक प्राचीन पीपल का पेड़ है।
रामघाट गंगा आरती
गंगा आरती भारत के सबसे खूबसूरत अनुभवों में से एक है। यह आध्यात्मिक समारोह देवी गंगा को श्रद्धांजलि देने के लिए प्रतिदिन किया जाता है। प्रत्येक शाम गोधूलि बेला पर राम घाट पर गंगा आरती करने का समय होता है। यह अत्यन्त ओजस्वी और उत्थानशील आध्यात्मिक अनुष्ठान है। गंगा आरती नदी के सामने राम घाट पर होती है। दीप जलाए जाते हैं और पण्डितों (पुजारियों) द्वारा दक्षिणावर्त तरीके से परिक्रमा की जाती है और गंगा माँ की स्तुति में गीत का गायन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि दीपों को देवता की शक्ति प्राप्त होती है। ‘आरती‘ शब्द संस्कृत के आत्रिक से लिया गया है, जिसका अर्थ है पूजा का एक रूप, जिसमेंं घी (शुद्ध मक्खन) या कपूर के दीपक से प्रकाश एक या एक से अधिक देवताओं को अर्पित किया जाता है। आरती पांच तत्त्वों आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी का प्रतीक है। समारोह पूर्ण होने के बाद, भक्त अपने हाथों को ज्योति के ऊपर रखते हैं और देवी का आशीर्वाद पाने के लिए अपनी हथेलियों को माथे पर रखते हैं। इस दिव्यता की अनुभूति के लिए आपको इस समारोह में प्रतिभाग करना होगा।
महर्षि भारद्वाज आश्रम
मुनि भारद्वाज से सम्बद्ध यह एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। मुनि भारद्वाज के समय यह एक प्रसिद्ध शिक्षा केन्द्र था। कहा जाता है कि भगवान राम अपने वनवास के प्रारम्भ पर चित्रकूट जाते समय सीता जी एवं लक्ष्मण जी के साथ इस स्थान पर आए थे। वर्तमान में वहाँ भारद्वाजेश्वर महादेव, मुनि भारद्वाज, तीर्थराज प्रयाग और देवी काली इत्यादि के मन्दिर हैं। निकट ही सुन्दर भारद्वाज पार्क एवं आनन्द भवन है।
विक्टोरिया स्मारक
रानी विक्टोरिया को समर्पित इटालियन चूना पत्थर से निर्मित यह स्मारक स्थापत्य कला का एक जीवंत उदाहरण है। इसे 24 मार्च, 1906 को जेम्स डिगेस ला टच के द्वारा 1906 में खोला गया था। त्रिकोणात्मक रचना में कभी रानी विक्टोरिया की बड़ी मूर्ति लगी हुई थी जो वर्तमान समय में वहाँ नहीं हैं।
प्रयाग संगीत समिति
यह वर्ष 1926 में भारतीय जन मानस में भारतीय शास्त्रीय संगीत पढ़ाने और लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य के साथ स्थापित किया गया था। यह संस्था भारतीय समितियां अधिनियम संख्या (गत, वर्ष 1860) के अधीन पंजीकृत है। समिति का मूल उद्देश्य गायन, वादन एवं नृत्य को सम्मिलित करते हुए संगीत कला की प्रतिष्ठा को सदैव पुनर्जीवित रखना तथा भारत व विदेशों में भी इस कला में व्यवस्थित प्रशिक्षण प्रदान करना है, इसके अलावा इसे अधिकतम लोगों तक पहुंचाना है। इस बिन्दु को दृष्टिगत रखकर समिति श्रद्धापूर्वक आज तक महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रही है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय
इलाहाबाद विश्वविद्यालय को एक शताब्दी से अधिक समय से भारत के विश्वविद्यालयों के मध्य एक सम्मानित स्थान प्राप्त है। 23 सितम्बर, 1887 को स्थापित यह विश्वविद्यालय कलकत्ता, बाम्बे और मद्रास विश्वविद्यालय के पश्चात्् चौथा पुराना विश्वविद्यालय है। प्रयागराज में एक बड़े केन्द्रीय कालेज की स्थापना एवं इसे एक विश्वविद्यालय के रूप में विकसित करने का श्रेय सर विलियम म्योर को जाता है जो यूनाइटेड प्राविन्स के लेफ्टिनेंट गवर्नर थे। उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप म्योर सेन्ट्रल कालेज की आधारशिला 9 दिसम्बर, 1873 को वायसराय लार्ड नार्थब्रुक के द्वारा रखी गयी थी। जो आगे चलकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
पब्लिक लाइब्रेरी
शहर की सबसे पुरानी लाइब्रेरी चन्द्रशेखर आज़ाद पार्क परिसर के भीतर स्थित है। इसमें ऐतिहासिक पुस्तकों, पाण्डुलिपियों एवं पत्रिकाओं का बृहद संग्रह है। इस लाइब्रेरी को चैथम लाइन्स क्षेत्र में 1864 में स्थापित किया गया था, वर्तमान भवन का वर्ष 1878 में निर्माण के पश्चात्् लाइब्रेरी को यहाँ स्थानान्तरित किया गया है। इस दर्शनीय भवन का एक अन्य गरिमामयी अध्याय भी है। यहाँ राज्य की प्रथम विधान सभा ने अपनी पहली बैठक इसी भवन में 8 जनवरी, 1887 को किया था। लार्ड थार्नहिल एवं माइन की स्मृति में निर्मित यह भवन गोथिक आर्कीटेक्चर का एक सुन्दर उदाहरण है।
गंगा गैलरी (राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी)
5, लाजपत राय मार्ग, नया कटरा स्थित यह गैलरी गंगा नदी की धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक-आर्थिक एवं वैज्ञानिक पक्ष को प्रकाशित करने के लिए एक वैज्ञानिक दृष्टि का प्रयोग करती है।
फ्लोटिंग रेस्टोरेंट
जल स्पोर्ट्स अरेना और फ्लोटिंग जेटीज, महाकुम्भ-2025 के लिए शानदार तैयारी के अभिन्न हिस्से हैं। इन्हें नवाचारी सुविधाओं का उद्दीपन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो प्रवासी अनुभव को बढ़ाने के लिए हैं। इनोवेटिव सुविधाएं आध्यात्मिकता और मनोरंजन का एक अद्वितीय मिश्रण प्रदान करेंगी। यात्री और आगंतुक समान रूप से सकरात्मक माहौल में महाकुम्भ-2025 के अद्भुत वातावरण में शान्तिपूर्ण जल की यात्रा करते हुए विभिन्न वाटर स्पोर्ट्स में भाग लेकर एक सुगम और आनंदमय अनुभूति प्राप्त की जा सकती है।
श्री अखिलेश्वर महादेव
चिन्मय मिशन के अधीन प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) में रसूलाबाद घाट के निकट 500 वर्ग फिट के लगभग एक क्षेत्र में श्री अखिलेश्वर महादेव संकुल फैला हुआ है। इसकी आधारशिला 30 अक्टूबर, 2004 को चिन्मय मिशन के परमपूज्य स्वामी तेजोमयनन्दजी एवं पूज्य स्वामी सुबोधानन्द जी के द्वारा रखी गयी थी। आधार तल से ऊपर राजस्थान से गुलाबी पत्थर मंगा कर कटाई कर श्री अखिलेश्वर महादेव ध्यान मण्डपम को आकार प्रदान करने के लिए लगाये गये हैं। आधार पर लगभग 300 व्यक्तिगण की क्षमता वाली एक सत्संग भवन हेतु निर्मित किया गया है और श्री अखिलेश्वर महादेव के लिए समस्त आवश्यक सेवाएँ उपलब्ध है।
दशाश्वमेघ मन्दिर
यह दारागंज में गंगा नदी के किनारे स्थित शहर के तटीय क्षेत्रों में से एक है। कहा जाता है कि भगवान बह्मा जी ने यहाँ अश्वमेघ यज्ञ किया था। दशाश्वमेघेश्वर महादेव-शिवलिंग, नंदी, शेषनाग की मूर्तियाँ एवं एक बड़ा त्रिशूल इस मन्दिर में स्थापित हैं। चैतन्य महाप्रभु की स्मृति में उनके पदचिह्नों की विम्ब धारित करती हुई एक संगमरमर की पट्टी भी यहाँ लगी हुई है। इस मन्दिर के निकट में ही देवी अन्नपूर्णा भगवान हनुमान एवं भगवान गणेश के मन्दिर हैं।
तक्षकेश्वर नाथ मन्दिर
तक्षकेश्वर भगवान शंकर का मन्दिर है जो प्रयागराज की दक्षिण दिशा में स्थित दरियाबाद मोहल्ले में यमुना तट पर स्थित है। इससे थोड़ी दूर पर यमुना में तक्षकेश्वर कुण्ड है। जन श्रुति यह है कि तक्षक नाग ने भगवान कृष्ण द्वारा मथुरा से भगाये जाने के पश्चात्् यहीं शरण ली थी।
अन्य आकर्षण
संगम
इलाहाबाद किला स्थित पातालपुरी मन्दिर
त्रिवेणी बाँध स्थित बड़े (लेटे हुए) हनुमान मन्दिर
आदि शंकर विमानमण्डपम
स्वराज भवन, आनन्द भवन व जवाहर नक्षत्र-भवन
गदा माधव मन्दिर, छिवकी
अनंत माधव
त्रिवेणी-अक्षय-वट माधव
ललिता देवी
कल्याणी देवी
तक्षक तीर्थ, दरियाबाद
चक्र माधव, अरैल
हरिशचन्द्र अनुसंधान संस्थान, छतनाग
माँ अम्बे देवी धाम
लाक्षागृह