महाकुम्भ मेला 2025 प्रयागराज में विन्ध्याचल प्रसिद्ध स्थान

विन्ध्याचल

विन्ध्याचल गंगा नदी के किनारे मिर्जापुर जनपद में स्थित शहर है। यह देवी विन्ध्यवासिनी का सिद्धपीठ है, जो देश में प्रतिष्ठित सिद्धपीठों में से एक है। प्राचीन ग्रंथों में वर्णित देवी विन्ध्यवासिनी को तत्काल आशीष प्रदान करने वाली देवी माना जाता है। इस स्थान पर देवी को समर्पित अनेक मन्दिर हैं। यह पवित्र स्थान पर्यटकों को प्रकृति के विभिन्न आश्चर्यों के निकट आने का अवसर प्रदान करता है। यद्यपि विन्ध्याचल धार्मिक आस्था से ओत-प्रोत एक जीवंत नगर है, पर यहाँ एक शांत और सौम्य वातावरण भी है, जिसे पर्यटकों को अवश्य अनुभव करना चाहिए। गंगा नदी के तट पर स्थित इस स्थान का प्राकृतिक हरित परिदृश्य प्रकृति प्रेमियों को भी आकृष्ट करता है।

दूरी: 85 कि०मी०

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महाकुम्भ मेला 2025 प्रयागराज में प्रसिद्ध स्थान चित्रकूट

चित्रकूट

चित्रकूट का अर्थ है-कई आश्चर्यों से भरी पहाड़ी। यह उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के राज्यों में फैले पहाड़ों की उत्तरी विन्ध्य श्रृंखला में है। भगवान राम ने यहाँ अपने वनवास का अत्यधिक समय व्यतीत किया। महाकाव्य रामायण के अनुसार चित्रकूट में भगवान राम के भाई भरत ने उनसे मुलाकात की और उनसे अयोध्या लौटने और राज्य पर शासन करने के लिए अनुरोध किया। यह माना जाता है कि हिंदू धर्म के सर्वोच्च देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश यहाँ अवतार ले चुके हैं। यहाँ कई मन्दिर और कई धार्मिक स्थल हैं। इस धरा पर संस्कृति और इतिहास के सुन्दर संयोजन की झलकियाँ हैं। चित्रकूट आध्यात्मिक आश्रय स्थल है। जो लोग अनजानी और अनदेखी जगहों के प्रति रुचि रखते हैं, उनकी यहाँ लगभग पूरे साल भीड़ रहती है। चित्रकूट देवत्व, शांति और प्राकृतिक सौंदर्य का एकदम सही मेल है।

दूरी: 130 कि०मी०

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वाराणसी महाकुम्भ मेला 2025 में प्रसिद्ध स्थान प्रयागराज

वाराणसी

शास्त्रों में काशी के रूप में वर्णित वाराणसी या बनारस, एक शहर कम, एक स्वप्निल अनुभव अधिक हैं। यह अनादि काल से भारतीय संस्कृति, दर्शन, परम्पराओं और आध्यात्मिक लोकाचार का आदर्श है। यह सप्त पुरियों अर्थात् प्राचीन भारत के सात पवित्र नगरों में से एक है। यह शहर गंगा नदी के तट पर स्थित है, जिसकी दो सहायक नदियाँ हैं: वरुणा और असी; इसीलिए इसका नाम वाराणसी पड़ा। काशी-पवित्र शहर, गंगा-पवित्र नदी और शिव-सर्वोच्च ईश्वर का संयोजन वाराणसी को एक अद्वितीय गंतव्य बनाता है। आज वाराणसी सांस्कृतिक और पवित्र गतिविधियों का केंद्र बना हुआ है। शिक्षा के क्षेत्र में, विशेष रूप से धर्म, दर्शन, योग, आयुर्वेद, ज्योतिष, नृत्य और संगीत के क्षेत्र में, यह शहर निश्चित रूप से अद्वितीय है। बनारसी सिल्क साड़ियाँ और ब्रोकेड अपनी शान के लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं। वाराणसी का हर कोना आश्चर्य से भरा है; हम जितना अधिक इसे जानते है, उतना ही अधिक इससे प्रेम करने लगते हैं।

वाराणसी कॉरिडोर, जो अब 30,000 वर्गमीटर क्षेत्रफल में फैला है, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों सहित 50 से 75 हजार श्रद्धालुओं को आराम से मन्दिर तक पहुँचने की सुविधा प्रदान करता है।

दूरी: 120 कि०मी०

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महाकुम्भ मेला 2025 प्रयागराज में अयोध्या प्रसिद्ध स्थान

अयोध्या धाम

सरयू नदी के पूर्वी तट पर स्थित अयोध्या, रामायण से गहरे संबंधों वाला एक पूजनीय हिंदू तीर्थ स्थल है। सप्त-पुरियों अर्थात् प्राचीन भारत के सात पवित्र नगरों में से एक अयोध्या मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की जन्मस्थली रही है। अयोध्या पर अनेक महान राजाओं-इक्ष्वाकु, पृथु, मान्धाता, हरिश्चन्द्र, सगर, भगीरथ, दिलीप, रघु, दशरथ, श्रीराम आदि ने शासन किया। यह राम राज्य के आदर्शों की प्रतीक रही है। हिन्दुओं के लिए अत्यधिक महत्त्वपूर्ण अयोध्या स्थित राम मन्दिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को शुभ मुहूर्त में हुई। यह उद्घाटन अयोध्या की विरासत में एक समकालीन अध्याय को दर्शाता है। यह घटना अयोध्या के पर्यटन को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर रही है। सरकार की पहल स्थायी पर्यटन और सांस्कृतिक संरक्षण पर केंद्रित है। यहाँ पर तीर्थयात्री और पर्यटक जीवंत त्योहारों, अनुष्ठानों में भाग ले सकते है। यहाँ विभिन्न पर्यटक स्थलों तक पहुँचने एवं निवास हेतु बेहतर विकल्प उपलब्ध है। पारम्परिक कला, शिल्प और व्यंजनों सहित अयोध्या के सांस्कृतिक पहलू एक अनूठा अनुभव प्रदान करते हैं। निष्कर्षतः अयोध्या का आकर्षण इसके समृद्ध इतिहास, जीवंत संस्कृति और गहन आध्यात्मिक महत्त्व में निहित है, जो इसके कालातीत आकर्षण गहन अनुभूति हेतु पर्यटकों/आगंतुकों को आकर्षित करती है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या में सरयू नदी को राम मन्दिर से जोड़ने के उद्देश्य से एक सड़क परियोजना, भ्रमण पथ के विकास को अपनी मंजूरी दे दी है, जिसका उद्देश्य श्रद्धालुओं को श्रद्धेय श्रीराम मन्दिर तक पहुँचने के लिए अधिक सुविधाजनक और सुलभ मार्ग प्रदान करना है।

महाकुंभ मेला 2025 प्रयागराज में श्रिंगवेरपुर प्रसिद्ध स्थान

श्रिंगवेरपुर धाम

श्रिंगवेरपुर लगभग 45 किलोमीटर दूर, प्रयागराज जिले के लखनऊ रोड पर स्थित एक महत्वपूर्ण स्थल है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान राम, देवी सीता और लक्ष्मण जी के साथ अपने वनवास के दौरान गंगा नदी को यहीं से पार किया था। रामायण में श्रिंगवेरपुर को निषादराज के राज्य की राजधानी के रूप में चित्रित किया गया है। इस क्षेत्र में खुदाई के दौरान श्रंगी ऋषि का मंदिर पाया गया, जिसके नाम पर इस नगर का नाम रखा गया माना जाता है। महाकाव्य के अनुसार, भगवान राम, लक्ष्मण और देवी सीता ने नदी पार करने में कठिनाई के कारण श्रिंगवेरपुर में एक रात बिताई थी। निषादराज ने सहायता की पेशकश की और यह शर्त रखी कि वह भगवान राम के चरण धो सकें। कहा जाता है कि निषादराज ने गंगा जल से भगवान राम के चरण धोए और उस जल को पी लिया। उनकी इस भक्ति के कारण उन्हें भगवान की कृपा प्राप्त हुई। आज इस स्थान पर एक मंच है, जहां निषादराज ने यह पवित्र कार्य किया था।